क्या होती है तबलीगी जमात और क्या है मरकज में मायने
मरकज के मायने Centre यानि केंद्र होता है और तबलीग का मतलब है अल्लाह और कुरान, हदीस कि बात दुसरो तक पहुंचना । वही जमात का मतलब एक ग्रुप से है – तबलीगी जमात यानी एक ग्रुप कि जमात । तबलीगी मरकज का मतलब इस्लाम कि बात दूसरे लोगो तक पहुंचने का केंद्र । लगभग 75 साल पहले मेवात के मौलाना इलियास साहब ने मरकज कि स्थापना की थी । इस मरकज को बनाने के पीछे उनका मकसद था की भारत के अनपढ़ मुसलमानो में बढ़ती जहालत को खत्म करके उनको इस्लाम के बताये गए रस्ते और नमाज की तरफ लाना था ताकि भटके हुए लोग नमाज पढ़े, बुराइयों से बचे, रोजे रखे और सच्चाई अख्तियार करे ।
इन कामो से मरकज को इतनी प्रसिद्धि मिली कि वह पूरी दुनिया में जाना जाने लगा । लोग यहाँ आने लगे और फिर बुराई से अच्छाई कि तरफ लाने का केंद्र बन गया ।
मरकज में अमीर यानी हेड कि हिदायत पर देश और विदेश के कोने कोने में लोगो के ग्रुप जिसको जमात कहा जाता है मस्जिदों में जा जाकर इस्लाम कि बातो को लोगो तक पहुंचाने का काम करने लगे । इसमें इलाके के हिसाब से एक कमेटी बना देते है । वे अपने इलाके में गश्त करते हुए लोगो से बुराई को छोड़ने और नेकी कि तरफ चलने के लिए कहती है । फिर वो लोग इस तरह नए सदस्यों को जोड़ते है और जमात में शरीक होने के लिए कहा जाता है । ये जमात तीन दिन से लेकर चालीस दिन या और उससे अधिक दिनों के लिए होती है । इलाके कि मस्जिद से बानी कमेटी अपनी लिस्ट जिले के मुख्य केंद्र को देती है और फिर वह मरकज में भेज देती है ।
फिर ये लोग अपनी मस्जिदों से ग्रुप यानी जमात की शक्ल में ज़िले की मरकज़ में जाते हैं जहां से ये तय होता है कि किस जमात को किस इलाक़े में जाना है. और हर जमात का अमीर (हेड) बना दिया जाता है जिसके आदेश को सभी सदस्यों को मानना पड़ता है. ज़िले के मरकज़ से लेकर राज्य के मरकज़ और उसके अलावा देश के निज़ामुद्दीन स्थित मुख्य मरकज़ से संचालन होता है |
मरकज में सिर्फ जमीन और आसमान का जिक्र होता है यहां किसी भी तरह की दुनियावी बातों पर पूरी तरह पाबंदी है. यही वजह है कि तबलीगी जमात को पूरी दुनिया में वीजा मिल जाता है. तबलीगी जमात का जलसा हर साल भोपाल के साथ-साथ देश के हर हिस्से में होता है. इसमें भारी भीड़ इकट्ठी होती है. मरकज में मौजूद जमात देश के लिए पूरी तरह समर्पित रहती है. यही वजह है कि पूरे देश में जब कभी भी किसी भी तरह का नुकसान होता है तो वो सरकार के बजाय अपने आप को कसूरवार ठहराते हैं. उनका ये मानना है कि खुदा ने हमको दुनिया में अच्छाई के लिए भेजा है. कहीं न कहीं हम अच्छाइयों और इस्लाम के बताए रास्तों से दूर हो रहे हैं. इसलिए खुदा का यह कहर हमारे लिए है. और मगरिब की नमाज़ के बाद देश में अमन और सलामती के लिए ख़ास दुआ की जाती है |