पद्म भूषण सम्मानित डॉक्टर के अनुसार भारत में कोरोना का जीनोम अलग- आसानी से खत्म कर सकते है coronavirus को
पद्म भूषण से सम्मानित डॉक्टर नागेश्वर रेड्डी का कहना है कि लॉकडाउन 3-4 हफ्ते से अधिक लंबा नहीं होना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि अमेरिका, इटली और चीन के मुकाबले कोरोना वायरस का जीनोम भारत में अलग है और इससे जंग जीती जा सकती है। देशभर में कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने की अफवाहों के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात मेडिकल एक्सपर्ट डॉक्टर का दवा है कि भारत में कोरोना की स्थिति चीन और इटली से अलग है और इस पार आसानी से काबू पाया जा सकता है ।
कोरोना वायरस की वजह से पूरा देश लॉकडाउन की मार झेल रहा है । सभी लोग दहशत की वजह से अपने घरो में कैद है । बाजार व्यापार सब ठप्प पड़े हुए है । लॉकडाउन 14 अप्रैल तक जारी रहेगा और इसके बाद भी कोई गारंटी नहीं है की हालत सामान्य हो जाये । लेकिन इस बीच एक राहत भरी खबर आई है ।
मेडिकल एक्सपर्ट और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ नागेश्वर रेड्डी ने दावा किया है की कोरोना विरउस से हम आसानी से जंग जीत सकते है । इससे घबराने की जरूरत नहीं है । उन्होंने यह भी कहा है कि मौजूदा लॉकडाउन 3-4 सप्ताह से अधिक लम्बा नहीं होना चाहिए । वर्तमान में डॉ रेड्डी एशियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ गेस्ट्रोएंट्रोलॉजी के अध्यक्ष के रूप में कार्य करते है ।
क्यों अलग है चीन और अन्य देशो से कोरोना के जीनोम -क्या सच में वायरस के जीनोटाइप बदल गए
एक न्यूज़ चेंनेल को दिए इंटरव्यू के अनुसार डॉ रेड्डी ने कोरोना वायरस कि उत्पति और इसके फैलने के तरीके पार अध्ययन किया है । उन्होंने बताया कि यह वायरस चीन में दिसंबर में वहां शहर में उत्पन्न हुआ है । लगभग दो या तीन सप्ताह के अंतराल के बाद यह वायरस भारत आया, इसलिए वायरस का अध्ययन के लिए हमारे पास खूब टाइम था ।
कोरोना वायरस एक आरएनए वायरस है। ऐसा माना जाता है कि यह वायरस चमगादड़ से मनुष्य में फैला है लेकिन यह सीधे चमगादड़ से आया या नहीं, हमें अभी भी यकीन नहीं है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब यह वायरस इटली या अमेरिका या भारत में फैला, तो इस वायरस के जीनोटाइप अलग हो गए। पूरे वायरस की सीक्वेंसिंग चार देशों में की गई है- पहली अमरीका में, दूसरी इटली में, तीसरी चीन में और चौथी भारत में।
इससे ये पता चला कि इटली के मुकाबले भारत में कोरोना कि जीनोम अलग है । क्योंकि भारतीय वायरस में जीनोम के स्पाइक प्रोटीन में एक एकल उत्परिवर्तन होता है। स्पाइक प्रोटीन वह क्षेत्र है जो मानव कोशिका से जुड़ता है। इसलिए यह भारत में हमारे लिए एक महत्वपूर्ण कारक बन जाएगा।
तो क्या करना चाहिए क्योकि अभी कोई वैक्सीन भी तैयार नहीं हुई !
- 70-80 वर्ष से ऊपर के लोगों को है ज्यादा खतरा
- कोरोना वायरस के टेस्ट बढ़ाने होंगे
- ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए लॉकडाउन
- बच्चों और जवानों को कम खतरा
- आगे की तैयारियां भी हैं जरूरी
दोस्तों कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा खतरा 70-80 वर्ष आयु वाले व्यक्तियों को है । इटली में इसके घटक होने के कई अन्य कारन भी है जिनमे कई रोगियों कि आयु 70-80 वर्ष से ऊपर है और जो स्मोकिंग, शराब, डाइबिटीज़, ब्लड प्रेशर जैसे कारक शामिल है । इसलिए यहां मृत्यु दर का स्तर 10 फीसदी के साथ सामान्य से अधिक है। जबकि भारत, अमेरिका में, चीन में मृत्यु दर केवल 2% है। वायरस के जीनोम के आधार पर मृत्यु दर और संक्रमण दर में भिन्नता है। इम्युनिटी सिस्टम भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
इसके अतिरिक्त कोरोना वायरस के टेस्ट भी बढ़ाने होंगे । भारत में लॉकडाउन जरूरी था जो 2-3 हफ्ते तक रहेगा, लेकिन सवाल यह है कि इसके बाद क्या होगा? इस पर डॉक्टर ने कहा कि हमें कुछ और उपायों पर काम करना चाहिए। हमें ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने चाहिए। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि केवल एक निश्चित उम्र से ऊपर के लोगों की बड़े पैमाने पर जाँच और अलग किया जाना चाहिए।